ये डर भी कितना अजीब होता है ना,
इसके आगे जीत होती है और पिछे हालात,
डर को काबू में रखो तोह दुनिया सलाम करेगी,
डर के काबू में आ गए तोह दुनिया हसेगी,
किसी किराने की दूकान पर बिकता हो इतना सस्ता हो गया है आजकल ये डर,
किसी छूत की बीमारी की तरह सब को लग ही जाता है, ये डर...
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं जनाब,
गब्बर सिंह ये कहकर गया, जो डर गया वो मर गया,
पर वो ये बताना भूल गया की जो नहीं डरता मरता तो वो भी है जनाब !